ऐ लिखने वाले आख़िर तू ही क्यूँ…
ऐ लिखने वाले आख़िर तू ही क्यूँ लिखता है ? है ये दर्द सबको फिर …
ऐ लिखने वाले आख़िर तू ही क्यूँ लिखता है ? है ये दर्द सबको फिर …
ज़िंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना पाँव बख़्शें हैं तो तौफ़ीक़ ए …
किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई मेरे ख़ुदा नफ़रत ही अब दे रही है दिखाई …
अपने थके हुए दस्त ए तलब से माँगते है जो माँगते नहीं रब से वो …
हम वक़्त ए मौत को तो हरगिज़ टाल न पाएँगे हम ख़ाली हाथ आए है …
हमने सुना था फ़रिश्ते जान लेते है खैर छोड़ो ! अब तो इन्सान लेते है, …
मेरा दिल बुराई से तू साफ़ कर दे ऐ देने वाले मुझे माफ़ कर दे, …
अब तो बस ये जान है मौला बाक़ी झूठी शान है मौला, गम का कोई …
हम एक ख़ुदा के बन्दे है और एक जहाँ में बसते है, रब भी जब …