सताते हो तुम मज़लूमों को सताओ
सताते हो तुम मज़लूमों को सताओ मगर ये समझ के ज़रा ज़ुल्म ढहाओ मज़ालिम का …
सताते हो तुम मज़लूमों को सताओ मगर ये समझ के ज़रा ज़ुल्म ढहाओ मज़ालिम का …
सूरज से यूँ आँख मिलाना मुश्किल क्या नामुमकिन है, दुनियाँ से इस्लाम मिटाना मुश्किल क्या …
मज़लूमों के हक़ मे अब आवाज़ उठाये कौन ? जल रही बस्तियाँ,आह ओ सोग मनाये …
ज़ुल्म की हद ए इंतेहा को मिटाने का वक़्त है अब मज़लूमों का साथ निभाने …
पैगम्बरों की राह पर चल कर न देखना या फिर चलो तो राह के पत्थर …
ज़िन्दा है जब तक मुझे बस गुनगुनाने है क्यूँकि गीत तेरे नाम के बड़े ही …
कितना बुलंद मर्तबा पाया हुसैन ने राह ए ख़ुदा में घर को लुटाया हुसैन ने, …