दर्द की धूप ढले ग़म के ज़माने जाएँ
दर्द की धूप ढले ग़म के ज़माने जाएँ देखिए रूह से कब दाग़ पुराने जाएँ, …
दर्द की धूप ढले ग़म के ज़माने जाएँ देखिए रूह से कब दाग़ पुराने जाएँ, …
धोखे पे धोखे इस तरह खाते चले गए हम दुश्मनों को दोस्त बनाते चले गए, …
अपनों से कोई बात छुपाई नहीं जाती ग़ैरों को कभी दिल की बताई नहीं जाती, …
हमारे हाफ़िज़े बेकार हो गए साहिब जवाब और भी दुश्वार हो गए साहिब, उसे भी …
तेरा लहजा तेरी पहचान मुबारक हो तुझे तेरी वहशत तेरा हैजान मुबारक हो तुझे, मैं …
मुझे आरज़ू जिसकी है उसको ही ख़बर नहीं नज़रअंदाज़ कर दूँ ऐसी मेरी कोई नज़र …
इस शहर में कहीं पे हमारा मकाँ भी हो बाज़ार है तो हम पे कभी …
वतन से उल्फ़त है जुर्म अपना ये जुर्म ता ज़िन्दगी करेंगे है किस की गर्दन …
घर से निकले अगर हम बहक जाएँगे वो गुलाबी कटोरे छलक जाएँगे, हमने अल्फ़ाज़ को …
बसा तो लेते नया दिल में हम मकीं लेकिन मिला न आप से बढ़ कर …