ज़ख्म ए वाहिद ने जिसे ता उम्र रुलाया हो
ज़ख्म ए वाहिद ने जिसे ता उम्र रुलाया हो हरगिज़ ना दुखाना दिल जो चोट …
ज़ख्म ए वाहिद ने जिसे ता उम्र रुलाया हो हरगिज़ ना दुखाना दिल जो चोट …
ज़िन्दगानी के काम एक तरफ़ अक़द का इंतज़ाम एक तरफ़, हां मुहब्बत का नाम एक …
चमन में जब भी सबा को गुलाब पूछते हैं तुम्हारी आँख का अहवाल ख़्वाब पूछते …
असर उसको ज़रा नहीं होता रंज राहत फिज़ा नहीं होता, बेवफा कहने की शिकायत है …
शिक़स्त ए ज़र्फ़ को पिंदार ए रिंदाना नहीं कहते जो मांगे से मिले हम उसको …
मिलने का भी आख़िर कोई इम्कान बनाते मुश्किल थी अगर कोई तो आसान बनाते, रखते …
दिल दे कर संगदिल को ज़िन्दगी दुश्वार नहीं करना यूँ हर किसी से अपने इश्क़ …
तक़दीर की ग़र्दिश क्या कम थी उस पर ये क़यामत कर बैठे, बेताबी ए दिल …
तेरा लहजा तेरी पहचान मुबारक हो तुझे तेरी वहशत तेरा हैजान मुबारक हो तुझे, मैं …
मुझे आरज़ू जिसकी है उसको ही ख़बर नहीं नज़रअंदाज़ कर दूँ ऐसी मेरी कोई नज़र …