कोई महबूब सितमगर भी तो हो सकता है
कोई महबूब सितमगर भी तो हो सकता है फूल के हाथ में खंजर भी तो …
कोई महबूब सितमगर भी तो हो सकता है फूल के हाथ में खंजर भी तो …
इश्क़ से जाम से बरसात से डर लगता है यार तुम क्या हो कि हर …
वो दुश्मन ए जाँ जान से प्यारा भी कभी था अब किस से कहें कोई …
इस नाज़ इस अंदाज़ से तुम हाए चलो हो रोज़ एक ग़ज़ल हमसे कहलवाए चलो …
वो दर्द वो वफ़ा वो मुहब्बत तमाम शुद लिए दिल में तेरे क़ुर्ब की हसरत …
जब भी तुम चाहों मुझे ज़ख्म नया देते रहो बाद में फिर मुझे सहने की …
सौ बार चमन महका सौ बार बहार आई दुनिया की वही रौनक़ दिल की वही …
उसकी ख़ातिर रोना हँसना अच्छा लगता है जैसे धूप में बारिश होना अच्छा लगता है, …
उसने कहा कि मुझसे तुम्हें कितना प्यार है ? मैंने कहा सितारों का भी कोई …
तुम सोज़ ए तमन्ना क्या जानों तुम दर्द ए मुहब्बत क्या समझों ? तुम दिल …