तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ
तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ ज़मीं पे रोज़ मनाता है कायनात का दुःख, तमाम …
तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ ज़मीं पे रोज़ मनाता है कायनात का दुःख, तमाम …
कौन है नेक ? कौन बद है यहाँ ? किसी के हाथों में ये सनद है कहाँ ? खुलते जा रहे हैं कायनात के भेद …
दुनियाँ की बुलंदी के तलबगार नहीं हैं हम अहल ए ख़िरद तेरे परस्तार नहीं हैं, बरगद की तरह क़दम अपने जमाए है हर आन जो …
रिहा कर मुझे या सज़ा दे ऐ आदिल कोई तो फ़ैसला तू सुना दे ऐ आदिल, यूँ असीरी में जीना तो है तौहीन मेरी चाहे …
बुलंद दर्ज़ा है दुनियाँ में माँ बाप का इनके जैसा तो कोई और प्यारा नहीं, इतने एहसान है हम पर माँ बाप के जिनका होता …
सताते हो तुम मज़लूमों को सताओ मगर ये समझ के ज़रा ज़ुल्म ढहाओ मज़ालिम का लबरेज़ जब जाम होगा तो हिटलर के जैसा ही अंज़ाम …
सूरज से यूँ आँख मिलाना मुश्किल क्या नामुमकिन है, दुनियाँ से इस्लाम मिटाना मुश्किल क्या नामुमकिन है, मुशरिको को दीन सिखाना शायद मुमकिन हो लेकिन, …
बहुत ख़राब रहा इस दौर मे एक क़ौम का अच्छा होना, रास ना आया मनहूसों को क़ौम का इतना सच्चा होना, दोस्तों अच्छा भी नहीं …
इस नये साल पे ये सदा है ख़ुदा से सलामत रहे वतन हर एक बला से, न पलकों पे हों गम के कोई सितारे न …
मज़लूमों के हक़ मे अब आवाज़ उठाये कौन ? जल रही बस्तियाँ,आह ओ सोग मनाये कौन ? कौन करे पासदारी अब बेत अल मुक़दस की …