गूँगे लफ़्ज़ों का ये बेसम्त सफ़र मेरा है
गूँगे लफ़्ज़ों का ये बेसम्त सफ़र मेरा है गुफ़्तुगू उसकी है लहजे में असर मेरा …
गूँगे लफ़्ज़ों का ये बेसम्त सफ़र मेरा है गुफ़्तुगू उसकी है लहजे में असर मेरा …
भीड़ में कोई शनासा भी नहीं छोड़ती है ज़िंदगी मुझको अकेला भी नहीं छोड़ती है, …
मैंने मुद्दत से कोई ख़्वाब नहीं देखा है रात खिलने का गुलाबों से महक आने …
हाए लोगों की करम फ़रमाइयाँ तोहमतें बदनामियाँ रुस्वाइयाँ, ज़िंदगी शायद इसी का नाम है दूरियाँ, …
दिल की बस्ती पे किसी दर्द का साया भी नहीं ऐसा वीरानी का मौसम कभी …
फ़िराक़ ओ वस्ल से हट कर कोई रिश्ता हमारा हो बग़ैर उस के भी शायद …
किया इश्क था जो बाइसे रुसवाई बन गया यारो तमाम शहर तमाशाई बन गया, बिन …
तजुर्बे के दम पर दीवानों ने कहा था इश्क़ बुरा है मगर जुनूँ ए इश्क़ …
कर्ब ए फ़ुर्क़त रूह से जाता नहीं हल कोई ग़म का नज़र आता नहीं, काश …