कौन आता है बुझाने प्यास प्यासा देख कर
कौन आता है बुझाने प्यास प्यासा देख कर घर चले जाते है सब के सब तमाशा देख कर, बात तेरी मान ली मैंने कभी टोका …
कौन आता है बुझाने प्यास प्यासा देख कर घर चले जाते है सब के सब तमाशा देख कर, बात तेरी मान ली मैंने कभी टोका …
एक हम दोनों को ये हालात नहीं कर सकते ख़ुद को वग्फ़ ए मुज़ाफ़ात नहीं कर सकते, तेरे शहर में न रहने का ही नतीज़ा …
कभी ख़ामोश बैठोगे, कभी कुछ गुनगुनाओगे कभी ख़ामोश बैठोगे, कभी कुछ गुनगुनाओगे मैं उतना ही याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे, कोई जब पूछ बैठेगा ख़ामोशी …
और क्या करता बयान ए गम तुम्हारे सामने मेरी आँखें हो गई पुरनम तुम्हारे सामने, हम जुदाई में तुम्हारी मर भी सकते हैं मगर चाहते …
चौंक चौंक उठती है महलों की फ़ज़ा रात गए चौंक चौंक उठती है महलों की फ़ज़ा रात गए कौन देता है ये गलियों में सदा …
ज़माना आज नहीं डगमगा के चलने का ज़माना आज नहीं डगमगा के चलने का सम्भल भी जा कि अभी वक़्त है सम्भलने का, बहार आये …
मेरा ख़ामोश रह कर भी उन्हें सब कुछ सुना देना मेरा ख़ामोश रह कर भी उन्हें सब कुछ सुना देना ज़बाँ से कुछ न कहना …
ऐ मेरे हम नशीं चल कहीं और चल ऐ मेरे हम नशीं चल कहीं और चल इस चमन में अब अपना गुज़ारा नहीं, बात होती …
भीगा हुआ है आँचल आँखों में भी नमी है फैला हुआ है काजल आँखों में भी नमी है, बरसेगा आज खुल कर बेचैन ओ मुज़्तरिब …
जिस वक़्त वालिदैन ने जनाज़े उठाये होंगे उस वक़्त कितने खून के आँसू बहाए होंगे, मुंसफ सज़ा कहाँ ज़ालिमों को सुनाएगा जिसने गरीब ए शहर …