फिर आईना ए आलम शायद कि निखर जाए
फिर आईना ए आलम शायद कि निखर जाए फिर अपनी नज़र शायद ताहद्द ए नज़र जाए, सहरा पे …
फिर आईना ए आलम शायद कि निखर जाए फिर अपनी नज़र शायद ताहद्द ए नज़र जाए, सहरा पे …
नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं क़रीब उन के आने के दिन आ रहे हैं, जो दिल …
आपकी याद आती रही रात भर चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर, गाह जलती हुई गाह बुझती हुई …
दरबार ए वतन में जब एक दिन सब जाने वाले जाएँगे कुछ अपनी सज़ा को पहुँचेंगे,कुछ अपनी जज़ा …
वफ़ा ए वादा नहीं वादा ए दिगर भी नहीं वो मुझसे रूठे तो थे लेकिन इस क़दर भी …
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के वो जा रहा है कोई शब ए ग़म गुज़ार के, वीराँ …
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले, क़फ़स उदास है यारो …
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के, वीराँ है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र …