हक़ीर जानता है इफ्तिखार माँगता है
हक़ीर जानता है इफ्तिखार माँगता है वो ज़हर बाँटता है और प्यार माँगता है, ज़लील …
हक़ीर जानता है इफ्तिखार माँगता है वो ज़हर बाँटता है और प्यार माँगता है, ज़लील …
धरती पर जब ख़ूँ बहता है बादल रोने लगता है देख के शहरों की वीरानी …
बड़ा बेशर्म ज़ालिम है, बड़ी बेहिस फ़ितरत है उसको कहाँ पता हया क्या ? क्या …
ना मस्ज़िदे ना शिवाले तलाश करते है ये भूखे पेट निवाले तलाश करते है, हमारी …
क़ुदरत का करिश्मा भी क्या बेमिसाल है चेहरे सफ़ेद काले पर खून सबका लाल है, …
ये क़ुदरत भी अब तबाही की हुई शौक़ीन लगती है ऐ दौर ए ज़दीद साज़िश …
क्यूँ खौफ़ इस क़दर है तुम्हे हादसात का ? एक दिन ख़ुदा दिखाएगा रास्ता निज़ात …
इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी अल्लाह निगहबान यहाँ भी है वहाँ भी, …
ज़नाब शेख़ की हर्ज़ा सराई ज़ारी है इधर से ज़ुल्म उधर से दुहाई ज़ारी है, …