पढ़ती रहती हूँ मैं सारी चिट्ठियाँ…
पढ़ती रहती हूँ मैं सारी चिट्ठियांरात है और है तुम्हारी चिट्ठियां, आओ तो पढ़ कर सुनाऊँगी तुम्हेंलिख रखी हैं ढेर सारी चिट्ठियां, लिख तो रखी …
पढ़ती रहती हूँ मैं सारी चिट्ठियांरात है और है तुम्हारी चिट्ठियां, आओ तो पढ़ कर सुनाऊँगी तुम्हेंलिख रखी हैं ढेर सारी चिट्ठियां, लिख तो रखी …
ऐ मेरी क़ौम के लोगो ज़रा होशियार हो जाओउठो अब नींद से जागो के अब बेदार हो जाओ, भूलाकर मसलकी झगड़े गले सब को लगाना …
कोई अज़्म-ओ-इरादा, नहीं चाहिएआपसे कोई वादा, नहीं चाहिए, आपकी रुह में, इश्क़ बनकर रहूँइससे कुछ भी ज़ियादा, नहीं चाहिए ~ आँचल सक्सैना