ऐ मेरी क़ौम के लोगो ज़रा होशियार हो जाओ
उठो अब नींद से जागो के अब बेदार हो जाओ,
भूलाकर मसलकी झगड़े गले सब को लगाना है
अगर सच्चे मुसलमाँ हो तो एक मरकज़ आना है,
ख़ुदा का है करम हम पर के हम ईमान वाले हैं
नबी के उम्मती हैं और हम क़ुरआन वाले हैं,
हम ही ने बद्र के मैदां में दुश्मन को पछाड़ा था
ज़रा सा याद कर लो हमने ख़ैबर को उखाड़ा था,
जो मुमकिन ही नहीं था हमने मुमकिन कर के दिखलाया
हमारे हौसलों को देखकर फ़िरऔन थर्राया,
मुसलमानों ख़ुदा के वास्ते अब एक हो जाओ
रसूल ए पाक की राहों पे चलकर नेक हो जाओ,
ये मसलक और मशरब की लड़ाई छोड़ना होगा
हमें नफरत की ज़ंजीरों को मिलकर तोड़ना होगा,
अभी भी वक़्त है ऐ मोमिनों अब भी संभल जाओ
गुज़ारिश है मेरी फ़िरक़ापरस्ती से निकल जाओ,
नहीं सम्भले तो सर हम सब के आएँगे निशाने पर
खड़ी है क़ौम अपनी अब तबाही के दहाने पर,
शिया, सुन्नी, बरेली, देवबंदी में जो उलझेंगे
हमारे जो मसाइल हैं कभी हरगिज़ न सुलझेंगे,
अगर हम मुत्तहिद होंगे तो बाज़ी मार जाएँगे
वगरना जंग कोई भी हो उस में हार जाएँगे..!!
~अख्तर इलाहाबादी