एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा
एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा, किस …
एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा, किस …
वो जो दिल में तेरा मुक़ाम है किसी और को वो देना नहीं, वो जो रिश्ता तुझ से …
लिबास तन से उतार देना, किसी को बांहों के हार देना फिर उसके जज़्बों को मार देना, अगर …
मुक़म्मल दो ही दानों पर ये तस्बीह ए मुहब्बत है जो आये तीसरा दाना ये डोरी टूट जाती …
जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई पूछना था कि तेरा ध्यान भी रखता है कोई …
चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या हम ने भी कीं दर ओ दीवार से …
ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते जो आज तो होते हैं मगर कल नहीं होते, अंदर …
जैसा नज़र का शौक़ था वैसा न कर सका शहर करिश्मा साज़ तमाशा न कर सका, दुनिया ने …
वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो वही यानी वादा …
, गुलों के रुख़ पे वही ताज़गी का आलम है न जाने उन को ग़म ए रोज़गार क्यूँ …