तुझ से बिछड़ के हम भी मुक़द्दर के हो गए
तुझ से बिछड़ के हम भी मुक़द्दर के हो गए फिर जो भी दर मिला है उसी दर …
तुझ से बिछड़ के हम भी मुक़द्दर के हो गए फिर जो भी दर मिला है उसी दर …
तुझे है मश्क़ ए सितम का मलाल वैसे ही तुझे है मश्क़ ए सितम का मलाल वैसे ही …
तुम अपने अक़ीदों के नेज़े हर दिल में उतारे जाते हो, हम लोग मोहब्बत वाले हैं तुम ख़ंजर …
सभी कहें मेरे ग़मख़्वार के अलावा भी कोई तो बात करूँ यार के अलावा भी, बहुत से ऐसे …
ग़ैरत ए इश्क़ सलामत थी अना ज़िंदा थी वो भी दिन थे कि रह ओ रस्म ए वफ़ा …
दिल भी बुझा हो शाम की परछाइयाँ भी हों मर जाइये जो ऐसे में तन्हाइयाँ भी हों, आँखों …
हर एक बात न क्यूँ ज़हर सी हमारी लगे कि हमको दस्त ए ज़माना से ज़ख़्मकारी लगे, उदासियाँ …
मुस्तक़िल महरूमियों पर भी तो दिल माना नहीं लाख समझाया कि इस महफ़िल में अब जाना नहीं, ख़ुद …
क्या ऐसे कम सुख़न से कोई गुफ़्तुगू करे जो मुस्तक़िल सुकूत से दिल को लहू करे, अब तो …
अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रखा है मगर चराग़ ने लौ को सँभाल रखा है, मोहब्बतों में तो …