अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रखा है…

अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रखा है
मगर चराग़ ने लौ को सँभाल रखा है,

मोहब्बतों में तो मिलना है या उजड़ जाना
मिज़ाज ए इश्क़ में कब ए’तिदाल रखा है,

हवा में नशा ही नशा फ़ज़ा में रंग ही रंग
ये किस ने पैरहन अपना उछाल रखा है,

भले दिनों का भरोसा ही क्या रहें न रहें
सो मैं ने रिश्ता ए ग़म को बहाल रखा है,

हम ऐसे सादा दिलों को वो दोस्त हो कि ख़ुदा
सभी ने वादा ए फ़र्दा पे टाल रखा है,

हिसाब ए लुत्फ़ ए हरीफ़ाँ किया है जब तो खुला
कि दोस्तों ने ज्यादा ख़याल रखा है,

भरी बहार में एक शाख़ पर खिला है गुलाब
कि जैसे तू ने हथेली पे गाल रखा है,

‘फ़राज़’ इश्क़ की दुनिया तो ख़ूबसूरत थी
ये किस ने फ़ित्ना ए हिज्र ओ विसाल रखा है..!!

~अहमद फराज़

Leave a Reply

Receive the latest Update in your inbox