उदासी का ये पत्थर आँसुओं से नम…
उदासी का ये पत्थर आँसुओं से नम नहीं होता हज़ारों जुगनुओं से भी अँधेरा कम …
उदासी का ये पत्थर आँसुओं से नम नहीं होता हज़ारों जुगनुओं से भी अँधेरा कम …
ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को सिखाएँगे रोएँगे बहुत लेकिन आँसू नहीं आएँगे, कह देना …
वो ग़ज़ल वालों का उस्लूब समझते होंगे चाँद कहते हैं किसे ख़ूब समझते होंगे, इतनी …
जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे हज़ारों तरफ़ से निशाने लगे, हुई शाम यादों के …
है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है कहीं कारोबार सी दोपहर …
साथ चलते आ रहे हैं पास आ सकते नहीं एक नदी के दो किनारों को …
सोयें कहाँ थे आँखों ने तकिए भिगोये थे हम भी कभी किसी के लिए ख़ूब …
रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना कोई सूखा पेड़ मिले …
फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे और इस दिल की तरफ़ बरसे तो पत्थर …
नज़र से गुफ़्तुगू ख़ामोश लब तुम्हारी तरह ग़ज़ल ने सीखे हैं अंदाज़ सब तुम्हारी तरह, …