हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी है
हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी है शहर में जो भी हुआ है वो ख़ता मेरी …
हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी है शहर में जो भी हुआ है वो ख़ता मेरी …
अगर न रोये तो आँखों पे बोझ पड़ता है करें जो गिर्या तो रातों पे बोझ पड़ता है, …
ख़िज़ाँ में ओढ़ के क़ौल ओ क़रार का मौसम बहार ढूँढ रही है बहार का मौसम, वो मेरे …
दीवाना हूँ मैं बिखरे मोती चुनता हूँ लम्हा लम्हा जोड़ के सदियाँ बुनता हूँ, तन्हा कमरे सूना आँगन …
जब भी बैठता हूँ लिखने कुछ लिखा जाता नहीं, एक उसके सिवा कोई मौज़ूअ मुझे याद आता नहीं, …
खो गया है जो उस को खोने दो फिर नया ख़्वाब मुझ को बोने दो, सुनों ऐ बस्तियों …
ये बात फिर मुझे सूरज बताने आया है अज़ल से मेरे तआ’क़ुब में मेरा साया है, बुलंद होती …
जाने कब किस के छलकने से हो दुनिया ग़र्क़ ए आब मेरी मुट्ठी में है दरिया साग़र ओ …
दर्द ख़ामोश रहा टूटती आवाज़ रही मेरी हर शाम तेरी याद की हमराज़ रही, शहर में जब भी …
मेरे लबों पे उसी आदमी की प्यास न हो जो चाहता है मेरे सामने गिलास न हो, ये …