मुख़्तसर बात, बात काफी है
एक तेरा साथ, साथ काफी है,
वो जो गुज़र जाए तेरे पहलू में
हमको इतनी हयात काफी है,
मैं हूँ तेरा और मेरा वज़ूद है तू
कुल यही क़ायनात काफी है,
लाख कीजिए मगर मुहब्बत में
कब कोई एहतियात काफी है,
अब नहीं कोई जीतने में नशा
तुम से पाई जो मात काफी है..!!