बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत
बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत
मिटाए दिल से सदियों की अदावत
चलो हम एक हो जाएँ,
वो क्या दिन थे
जब हम दो जिस्म एक जाँ होते थे
किस ने घोल दी हम में सियासत
चलो हम एक हो जाए,
मुहब्बत की जमीं पे
बीज बोया किसने नफ़रत का
न हो फिर से अमानत में खयानत
चलो हम एक हो जाएँ,
वो बाबर था कि औरंगजेब
सारे बन के रह गए हिकायत
चलो हम एक हो जाएँ,
अगर मैं परेशान हूँ
तो तुम भी तो परेशान हो
करे तो किस से करे शिकायत
चलो हम एक हो जाएँ..!!