राह ए इश्क़ के हर मोड़ पे परेशानियाँ होंगी…

राह ए इश्क़ के हर मोड़ पे परेशानियाँ होंगी
बहारे ना सही मगर सदा ही वीरानियाँ होंगी,

कहीं गम थाम लेगा और कही लाचारियाँ होंगी
तमन्नाओं की बस्ती में बहुत दुश्वारियाँ होंगी,

भड़क उठी ये कैसी आग मेरे दिल की बस्ती में
मेरे सीने में ही शायद कहीं चिंगारियाँ होंगी,

सुनो ! तुम सोच कर राह ए मुहब्बत में क़दम रखना
यहाँ मंज़िल से पहले राह में रुस्वाइयाँ होंगी..!!

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