कौन है नेक ? कौन बद है यहाँ ?

कौन है नेक ? कौन बद है यहाँ ?
किसी के हाथों में ये सनद है कहाँ ?

खुलते जा रहे हैं कायनात के भेद
जो अज़ल है वही अबद हैं यहाँ,

जो नज़र आये वो हकीक़त है
जो कहा जाए वो मुस्तनद है यहाँ,

कितनी मुद्दत से देखता आया हूँ मैं
एक तमाशा ए खाल ओ खद है यहाँ,

जो किसी तौर जल नहीं पाए
उन चिरागों की भी कोई हद है यहाँ..!!

 

बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत

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