जब भी हँसी की गर्द में चेहरा छुपा लिया
जब भी हँसी की गर्द में चेहरा छुपा लिया
बे लौस दोस्ती का बड़ा ही मज़ा लिया,
एक लम्हा ए सुकूँ तो मिला था नसीब से
लेकिन किसी शरीर सदी ने चुरा लिया,
काँटे से भी निचोड़ ली ग़ैरों ने बू ए गुल
यारों ने बू ए गुल से भी काँटा बना लिया,
असलम बड़े वक़ार से डिग्री वसूल की
और इस के बाद शहर में ख़्वांचा लगा लिया..!!
~असलम कोलसरी