आपकी याद आती रही रात भर
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर,
गाह जलती हुई गाह बुझती हुई
शम ए ग़म झिलमिलाती रही रात भर,
कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन
कोई तस्वीर गाती रही रात भर,
फिर सबा साया ए शाख़ ए गुल के तले
कोई क़िस्सा सुनाती रही रात भर,
जो न आया उसे कोई ज़ंजीर ए दर
हर सदा पर बुलाती रही रात भर,
एक उम्मीद से दिल बहलता रहा
एक तमन्ना सताती रही रात भर..!!
~फ़ैज़ अहमद फ़ैज़