सताते हो तुम मज़लूमों को सताओ
मगर ये समझ के ज़रा ज़ुल्म ढहाओ
मज़ालिम का लबरेज़ जब जाम होगा
तो हिटलर के जैसा ही अंज़ाम होगा,
तुम्हे है हम को मिटाने की ख्वाहिश
तो हमें भी है सर कटाने की ख्वाहिश..!!
सताते हो तुम मज़लूमों को सताओ
मगर ये समझ के ज़रा ज़ुल्म ढहाओ
मज़ालिम का लबरेज़ जब जाम होगा
तो हिटलर के जैसा ही अंज़ाम होगा,
तुम्हे है हम को मिटाने की ख्वाहिश
तो हमें भी है सर कटाने की ख्वाहिश..!!