दिल दे कर संगदिल को…

दिल दे कर संगदिल को ज़िन्दगी दुश्वार नहीं करना
यूँ हर किसी से अपने इश्क़ का इजहार नहीं करना,

माना बेलौस मुहब्बत तेरी नज़रों में है दो कौड़ी की
पर हवस की चाह में हर किसी से प्यार नहीं करना,

दिल ए नादां की खता थी हो गया एक दफा तुझसे
मगर गुनाह ये मुझे हरगिज़ बार बार नहीं करना..!!

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