हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो
हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा …
हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा …
नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है कुछ दिन शहर में घूमे …
मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन आवाज़ों के बाज़ारों …
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी, सुब्ह से शाम …
जो हो एक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता हमेशा एक ही से …
तुम अपने अक़ीदों के नेज़े हर दिल में उतारे जाते हो, हम लोग मोहब्बत वाले …
तू ख़ुश है गर मुझ से जुदा होने पर कोई गिला नहीं फिर तेरे बे …
बेचैन बहुत फिरना घबराए हुए रहना एक आग सी जज़्बों की दहकाए हुए रहना, छलकाए …
पर्बत तेरे पहलू में अगर खाई नहीं है काहे की बुलंदी जहाँ गहराई नहीं है, …