आइने का मुँह भी हैरत से खुला रह जाएगा जो भी देखेगा तुझे वो देखता रह जाएगा, हम ने सब
मोहब्बत के सिवा हर्फ़ ओ बयाँ से कुछ नहीं होता हवा साकिन रहे तो बादबाँ से कुछ नहीं होता, चलूँ
जब से उनका ख्याल रखा है दिल ने मुश्किल में डाल रखा है, उन पर दिल ये आ गया वरना
कहो तो आज दिल ए बे क़रार कैसे हो ? शब ए अलम के सताए नज़ार कैसे हो ? हवस
भीगा हुआ है आँचल आँखों में भी नमी है फैला हुआ है काजल आँखों में भी नमी है, बरसेगा आज
अपने साये से भी अक्सर डर जाते है लोग जाने अनजाने में गुनाह कर जाते है लोग, लिखी होती है
ज़िन्दगी ने लिया है ऐसा इम्तिहाँ मेरा सदा ही साथ रहा है गम ए दौराँ मेरा, दिन ओ रात रहता
दुनियाँ की बुलंदी के तलबगार नहीं हैं हम अहल ए ख़िरद तेरे परस्तार नहीं हैं, बरगद की तरह क़दम अपने
जिस वक़्त वालिदैन ने जनाज़े उठाये होंगे उस वक़्त कितने खून के आँसू बहाए होंगे, मुंसफ सज़ा कहाँ ज़ालिमों को
बताओ दिल की बाज़ी में भला क्या बात गहरी थी ? कहा, यूँ तो सभी कुछ ठीक था पर मात