हम वो बुझदिल नहीं जो यलगार से डर जाएँगे
तुम ने ये समझा कि हम तलवार से डर जाएँगे,
तुम जैसे कायरो को यूँ चुटकियों में मसल दें
तुम ने क्या समझा कि एक वार से डर जाएँगे ?
हम ने ख़ुद अपने लहू से ही तो सींचा है वतन
तुम ने समझा कि हम हथियार से डर जाएँगे,
हर ज़ुल्म ओ सितम का हिसाब लिख रखा है
तुम ने समझा कि हम दुत्कार से डर जाएँगे,
टूटेगी ख़ामोशी तो तलवारें भी चुप हो जाएँगी
तुम ने समझा कि हम फटकार से डर जाएँगे,
छुप कर वार करने वालों बंद करो ये गंदा खेल
तुम ने समझा कि हम दो चार से डर जाएँगे..!!