शिद्दत से हो रहा है दिल बेक़रार आ जा
मुमकिन नहीं है मुझसे अब इंतज़ार आ जा,
इस बार भी हवाओं में ताज़गी नहीं है
गुज़री थी तेरे बिन ही पिछली बहार आ जा,
जज़्बात की तेरे घर बारात भेजता हूँ
अश्को की पालकी में होकर सवार आ जा,
दुनियाँ के शोर ओ गुल से छुटकारा चाहता हूँ
सुन ख़ामोशी में अपने दिल की पुकार आ जा,
फूलो में ताज़गी थी तेरी नज़ाकतो से
बिस्तर पे चुभ रहे है गुल बन के ख़ार आ जा,
याद आ रही है तेरे हाथो की हर शरारत
चेहरे को छू रही है फिर से फ़ुहार आ जा,
लो शाम हो गई फिर मैं राह में खड़ा हूँ
आ जाओ कह रहा हूँ मैं बार बार आ जा…!!