चलो अब यूँ भी आज़माए कभी…

चलो अब यूँ भी आज़माए कभी
तुम कह दो तो भूल जाए कभी,

ज़िस्म मुर्दा हुआ तो ये जाना
चैन मर कर भी हम न पाए कभी,

कोई सूरत कभी न देख सकें
ज़ख्म आँखों को अब लगाये कभी,

अब तो आँखे भी वा नहीं करती
हाथ पहले भी कब मिलाए कभी,

अपनी दुनियाँ का तुम भरम रखना
अपनी दुनियाँ से हम तो जाए कभी,

नवाब मंदिरनुमा से इस दिल में
बुत बनाये है फिर गिराए कभी..!!

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