इन्सान भूल चुका है इन्सान की क़ीमत
बाज़ार में बढ़ गई आज हैवान की क़ीमत,
इक्तिदार में आते है इख़्तियार की लालच में
कुछ लोग लगा बैठे अपने ईमान की क़ीमत,
तुमने तो मज़मून बना लिया खून से लिपटी लाश को
एक माँ से पूछना एक जवान की क़ीमत,
मेरी ही तरह आओ मैं हक़ की तरफ से हूँ
शेख ने भी माँग ली आख़िर अपनी ज़बान की क़ीमत,
उठा जब जनाज़ा तो बहुत से अपने पास पाए हमने
शायद मुझसे ज्यादा थी मेरे मकान की क़ीमत,
इन्सान भूल चुका है इन्सान की क़ीमत
बाज़ार में बढ़ गई आज हैवान की क़ीमत..!!