सच ये है कि बेकार का ही हमें गम…

सच ये है कि बेकार का ही हमें गम होता है
जैसा हम चाहे दुनियाँ में वो बहुत कम होता,

ढलता हुआ सूरज, फैला जंगल रास्ता गुम
हमारे दिल से पूछो कैसा आलम होता है,

गैरो को कहाँ फ़ुर्सत किसी को दुःख दे
सबब तो हर बार ही कोई हमदम होता है,

ज़ख्म देने वाले दस्त हमने देखे है आँखों से
हाँ ज़माने वालो से सुना है मरहम होता है..!!

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