हकीक़त में नहीं कुछ भी दिखा है…

हकीक़त में नहीं कुछ भी दिखा है
क़िताबो में मगर सब कुछ लिखा है,

मुझे समझा के वो मज़हब का मतलब
डर ओ लालच में आए दिन बिका है,

जो रात और दिन पढ़ा करते हो पोथी
कभी उनका असर ख़ुद पर दिखा है ?

जब हाथो से नहीं कुछ कर सका वो
तो बोला यही तो क़िस्मत में लिखा है,

असल में रीढ़ ही उसकी सलामत नहीं
वो सदियों से इसी फन पे टिका है..!!

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