सभी कहें मेरे गम ख़्वार के अलावा भी
कोई तो बात करो यार के अलावा भी,
बहुत से ऐसे सितमगर थे अब जो याद नहीं
किसी हबीब दिल ए आज़ार के अलावा भी,
ये क्या कि तुम भी सरेराह हाल पूछते हो
कभी मिलो हमें बाज़ार के अलावा भी,
उजाड़ घर में ये ख़ुशबू कहाँ से आई है
कोई तो है दर ओ दीवार के अलावा भी,
सो देख कर तेरे रुखसार ओ लब यकीं आया
कि फूल खिलते है गुलज़ार के अलावा भी,
कभी हमसे भी आ कर मिलो जो वक़्त मिले
हमरा वज़ूद है अश’आर के अलावा भी..!!