प्यास जो उम्र भर न बुझी पुरानी होगी
कभी तो आख़िर वो प्यास बुझानी होगी,
उम्र गुज़ार दी इंतज़ार में ही बस उसने
राधा जैसी ही कोई वो भी दीवानी होगी,
आख़िर क्या बात थी कि तुम बेवफ़ा हो गए
वो बात तुम्हे आख़िर कभी तो बतानी होगी,
रस्म ए उल्फ़त निभाने का वादा किया था
ज़फ़ा ही सही रस्म कोई तो निभानी होगी,
महफ़िल से कोई प्यासा ही न चला जाए
कोई कम माँगे या ज्यादा पिलानी होगी,
कोई नहीं आने वाला तुम्हारे जनाज़े में
लाश तुम्हे अपनी ख़ुद ही उठानी होगी..!!