मैं सोचो के किस गुमाँ में था
मैं किसी दूसरे जहान में था,
रहने वाले आबाद हो न सके
कोई आसिब उस मकान में था,
बात दिल की मेरी जुबान पे थी
तीर अबतक मेरे कमान में था,
मेरे दिल में ही जलवा फरमा था
मैं ये समझा किसी जहान में था,
मैं जिसके प्यार में फ़ना था यारो !
वो किसी और के ध्यान में था..!!