सब्ज़ गुम्बद से सदा आती है
मुझको वो ताज़ा हवा आती है,
चाँद भी तब ही चमक उठता है
जब सहन ए नबवी की ज़िया आती है,
ख़ुद ही क़ाबिल मैं तमन्ना के नहीं
ख़ुद मेरे मन से निदा आती है,
देख सकता मैं भी जी भर लेकिन
अपनी नज़रों पे हया आती है,
अश्क बहने लगे महसूस हुआ
तैयबा से बाद ए सबा आती है,
जब भी पैगाम है जाता दिल से
दर ए आका से अता आती है,
मैं ख़ुश हूँ जो अता मुझको हुई
मुझको आका की दुआ आती है..!!