किसी रोज़ शाम के वक़्त
सूरज के आराम के वक़्त
मिल जाए जो साथ तेरा
हाथ में ले कर हाथ तेरा
दूर किसी तन्हाई में
दुनियाँ से जुदाई में
अपने संग बैठाऊँ तुझे
दिल का हाल सुनाऊँ तुझे
तेरी इज्ज़त ओ एहतराम करूँ
तेरे हाथो की लकीरों में
तलाश मैं अपना नाम करूँ….
किसी रोज़ शाम के वक़्त
सूरज के आराम के वक़्त
मिल जाए जो साथ तेरा
हाथ में ले कर हाथ तेरा
दूर किसी तन्हाई में
दुनियाँ से जुदाई में
अपने संग बैठाऊँ तुझे
दिल का हाल सुनाऊँ तुझे
तेरी इज्ज़त ओ एहतराम करूँ
तेरे हाथो की लकीरों में
तलाश मैं अपना नाम करूँ….