किसी से भी नहीं हम सब्र की तलक़ीन लेते है…
किसी से भी नहीं हम सब्र की तलक़ीन लेते है हमें मिलती नहीं जो चीज …
किसी से भी नहीं हम सब्र की तलक़ीन लेते है हमें मिलती नहीं जो चीज …
कोई हसीन मंज़र आँखों से जब ओझल हो जाएगा मुझको पागल कहने वाला ख़ुद ही …
मेरे दोस्त, ऐ मेरे प्यारे अभी बात है अधूरी अभी चाँदनी है बाक़ी अभी रात …
सुरखाब क्या ख़रीदे असबाब क्या ख़रीदे फ़ितरत फ़कीर जिसकी अलक़ाब क्या ख़रीदे, ले जा इन्हें …
ईद मुबारक़ आगाज़ ईद है, अंज़ाम ईद है, नेक काम ईद है सच्चाई ओ हक़ …
कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती हम को अगर मयस्सर जानाँ की …
लोग हिलाल-ए-शाम से बढ़ कर पल में माह-ए-तमाम हुएहम हर बुर्ज में घटते घटते सुब्ह …
कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहोऐ लोगो ख़ामोश रहो हाँ …
कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेराकुछ ने कहा ये चाँद है …
ये मेरी ग़ज़लें ये मेरी नज़्में तमाम तेरी हिकायतें हैंये तज़किरे तेरी लुत्फ़ के हैं …