मेरे दोस्त, ऐ मेरे प्यारे अभी बात है अधूरी
अभी चाँदनी है बाक़ी अभी रात है अधूरी,
वही सहरा का है मंज़र मेरे सामने अभी भी
तेरी दीद के सिवा भी तो निज़ात है अधूरी,
मैंने देखी सब्ज़ शाखिन किसी बाग़ में थी कहती
तू कहाँ है खोया गाफ़िल तेरी ज़ात है अधूरी,
कोई दोस्त मुझको मिलता कोई गम ही देता मुझको
ये दुआ है नामुक़म्मल कि अभी हयात है अधूरी..!!