चाँद यूँ कुछ देर को आते हो चले जाते हो…

चाँद यूँ कुछ देर को आते हो चले जाते हो
मेरी नज़रों से छुप कर बादलो में शरमाते हो,

मुझको गरविदा अपने हुस्न का बना कर
फिर प्यार से दूरी का हुक्म फ़रमाते हो,

चाँद कैसे आफ़ताब की जगह ले कर तुम
किस अदा से जलवा नूर अपने सर मनवाते हो,

हर दिन मुझसे महव ए गो हो कर
तुम किस तरह मनाज़िर ए ख़्वाब दिखाते हो,

चाँद हम रोज़ तुम्हारी क़ुर्बत को तरस जाते है
और तुम हो कि सितारों में महफ़िल सजाते हो..!!

Leave a Reply

Receive the latest Update in your inbox