सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते…
सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते हर दर पे जो झुक …
सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते हर दर पे जो झुक …
चराग़ अपनी थकन की कोई सफ़ाई न दे वो तीरगी है कि अब ख़्वाब तक …
दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह, …
ज़िन्दगी दी है तो जीने का हुनर भी देना पाँव बख्शे है तो तौफ़ीक ए …
मेरे लोग ख़ेमा ए सब्र में मेरा शहर गर्द ए मलाल में अभी कितना वक़्त …
सावन को ज़रा खुल के बरसने की दुआ दो हर फूल को गुलशन में महकने …
हारे हुए नसीब का मयार देख कर वो चल पड़ा है इश्क़ का अख़बार देख …
बेटी का दर्द… मुझे इतना प्यार न दो बाबा कल जितना मुझे नसीब न हो, …
कुछ इस तरह से इबादत खफ़ा हुई हमसे नमाज़ ए इश्क बहुत कम अदा हुई …
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ हम भी न डूब जाएँ कहीं …