तुम मेरी ख्वाहिश नहीं हो
ख्वाहिश पूरी हो जाए तो तलब नहीं रहती,
तुम मेरी आदत भी नहीं हो
आदत तो बुरी भी होती है,
तुम मेरी ज़रूरत भी नहीं हो
ज़रूरत पूरी हो जाए तो दूसरे की तलाश रहती है,
तुम मेरी दुनियाँ भी नहीं हो
दुनियाँ तो फ़ानी है एक दिन खत्म हो जाएगी,
तुम मेरी ला हासिल मुहब्बत हो
जिसकी तलब हमेशा इस दिल में ज़िन्दा रहती है..!!