कभी लोग बदले कभी ठिकाना बदला
कभी सनम कभी सनम खाना बदला,
साक़ी न मिल सका फिर भी उसे
रिंद ने आख़िर में मैख़ाना बदला,
पहले तो समझा कि तुम समझ में आओगे
मगर उसके बाद फिर समझ में आना बदला,
पहले तुझे तन्हाई में देखा करते थे
फिर हम ने वही वीराना बदला,
बदलते सब कुछ मिलते तुम फिर भी
खता हुई हमसे जो यार का पैमाना बदला..!!
~अब्बास तन्हा