आ जाओ मैं लोरी गा के सुना देता हूँ…
आ जाओ मैं लोरी गा के सुना देता हूँ चाँद अपना है उसे छत पे …
आ जाओ मैं लोरी गा के सुना देता हूँ चाँद अपना है उसे छत पे …
हर शख्स का जीना यहाँ आसान नहीं है मुश्किल से मिले वो जो परेशान नहीं …
जिनके घरो में आज भी चूल्हा नहीं जला खाना गर हम उनको खिलाएँ तो ईद …
हम एक ख़ुदा के बन्दे है और एक जहाँ में बसते है, रब भी जब …
आज के माहौल में इंसानियत बदनाम है ये इनाद ए बाहमी का ही फ़क़त अंजाम …
जाने क्यूँ अब शर्म से चेहरे गुलाब नहीं होते जाने क्यूँ अब मस्त मौला मिजाज़ …