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Bazm e Shayari :: Hindi / Urdu Poetry, Gazals, Shayari
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Bazmeshayari

शिद्दत से हो रहा है दिल बेक़रार आ जा…

Bazmeshayari_512X512

शिद्दत से हो रहा है दिल बेक़रार आ जामुमकिन नहीं है मुझसे अब इंतज़ार आ जा, इस बार …

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वो दिखी थी आज ख़्वाब में मुझे….

वो दिखी थी आज

वो दिखी थी आज ख़्वाब में मुझेचेहरा उनका गुलाब जैसा था, पड़ी जो नज़र तो झुकी न पलकवो …

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कुछ लफ्ज़ अगर मुझे मिल जाएँ….

Bazmeshayari_512X512

कुछ लफ्ज़ अगर मुझे मिल जाएँमैं उनमे तुझे तहरीर करूँ, अपनी ज़ात के रंग तुझमे भर करतुझे फिर …

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धनक के रंग चुरा ले हमारा बस जो चले…

Bazmeshayari_512X512

धनक के रंग चुरा ले हमारा बस जो चलेतेरी हथेली में डाले हमारा बस जो चले, बना के …

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चलो मंज़ूर है मुझको, मुझे कुछ भी सजा दे दो…

Bazmeshayari_512X512

चलो मंज़ूर है मुझकोमुझे कुछ भी सजा दे दोसुनो ! गर मिल नहीं पाएतो एक दूजे से कहते …

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जब से या रब मैं तेरे इस जहान में हूँ…

जब से या रब मैं

एक मुसलसल से इम्तिहान में हूँजबसे या रब मैं तेरे इस जहान में हूँ, सिर्फ़ इतना सा है …

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ऐसा न हो कि हर एक शय में मुझे तेरा गुमाँ होने लगे

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ये तो इस पर है कि कब और कहाँ होने लगेये तमाशा वो जहाँ चाहे वहाँ होने लगे, …

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ग़ज़ल को फिर सजा के सूरत ए महबूब लाया हूँ…

Bazmeshayari_512X512

ग़ज़ल को फिर सजा के सूरत ए महबूब लाया हूँसुनो अहल ए सुखन ! मैं फिर नया असलूब …

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दिल ए गुमशुदा ! कभी मिल ज़रा…

Bazmeshayari_512X512

दिल ए गुमशुदा ! कभी मिल ज़राकिसी ख़ुश्क खाक़ के ढेर परया किसी मकान की मुंडेर पर, दिल …

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शिक़स्त ए ख़्वाब के अब मुझमे हौसले भी नहीं..

Bazmeshayari_512X512

आँखों में नींदों के सिलसिले भी नहींशिक़स्त ए ख़्वाब के अब मुझमे हौसले भी नहीं, नहीं नहीं ! …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने