धनक के रंग चुरा ले हमारा बस जो चले…

धनक के रंग चुरा ले हमारा बस जो चले
तेरी हथेली में डाले हमारा बस जो चले,

बना के वक़्त का कोई वज़ूद सूरज सा
उसे डुबोये निकाले हमारा बस जो चले,

ये चाँद गेंद के जैसे उछालते जाएँ
सितारे जेब में डाले हमारा बस जो चले,

तुम्हारी मिट्टी को गुँथे हम अपनी मिट्टी में
फिर एक ज़िस्म में ढाले हमारा बस जो चले,

ज़मीं ने बाँध के रखा है जिस कशिश से ये चाँद
तुम्हे यूँ ख़ुद से लगा ले हमारा बस जो चले,

ये कार ए इश्क़ जुनूं है न जान ए शीशा गरी
तुम्हे तो नोच के खा ले हमारा बस जो चले,

हम दर पे ब वक़्त ए विसाल आ पहुँचे
तो सात जन्मो ए टाले हमारा बस जो चले,

तुम्हे पहन ले हम अपने वज़ूद पर
तुम्हे लिबास हम बना ले हमारा बस जो चले..!!

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