कहीं दिरहम कहीं डॉलर कहीं दीनार का झगड़ा कहीं दिरहम कहीं डॉलर कहीं दीनार का झगड़ा कहीं लहँगा कहीं चोली
नाम से गाँधी के चिढ़ और बैर आज़ादी से है नाम से गाँधी के चिढ़ और बैर आज़ादी से है
कभी ख़ामोश बैठोगे, कभी कुछ गुनगुनाओगे कभी ख़ामोश बैठोगे, कभी कुछ गुनगुनाओगे मैं उतना ही याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे,
और क्या करता बयान ए गम तुम्हारे सामने मेरी आँखें हो गई पुरनम तुम्हारे सामने, हम जुदाई में तुम्हारी मर
तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ ज़मीं पे रोज़ मनाता
जब भी हँसी की गर्द में चेहरा छुपा लिया जब भी हँसी की गर्द में चेहरा छुपा लिया बे
कौन है नेक ? कौन बद है यहाँ ? किसी के हाथों में ये सनद है कहाँ ? खुलते जा
बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत मिटाए दिल से सदियों की अदावत चलो हम एक हो
हमेशा साथ रहने की आदत कुछ नहीं होती जो लम्हा मिल गए जी लो, रियाज़त कुछ नहीं होतीं, जिसे महरूमियाँ
तेरी जुल्फें बिखरने को घटा कह दूँ तो कैसा हो ? तेरी जुल्फें बिखरने को घटा कह दूँ तो