यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैं
मिलने वाले कहीं उल्फ़त में जुदा होते हैं ?
हैं ज़माने में अजब चीज़ मोहब्बत वाले
दर्द ख़ुद बनते हैं ख़ुद अपनी दवा होते हैं,
हाल ए दिल मुझ से न पूछो मेरी नज़रें देखो
राज़ दिल के तो निगाहों से अदा होते हैं,
मिलने को यूँ तो मिला करती हैं सब से आँखें
मगर दिल के आ जाने के अंदाज़ जुदा होते हैं,
ऐसे हँस हँस के न देखा करो सब की जानिब
यहाँ लोग ऐसी ही अदाओं पे तो फ़िदा होते हैं..!!
~मजरूह सुल्तानपुरी