यारो किसी क़ातिल से कभी प्यार न माँगो
अपने ही गले के लिए तलवार न माँगो,
गिर जाओगे तुम अपने मसीहा की नज़र से
मर कर भी इलाज ए दिल ए बीमार न माँगो,
खुल जाएगा इस तरह निगाहों का भरम भी
काँटों से कभी फूल की महकार न माँगो,
सच बात पे मिलता है सदा ज़हर का प्याला
जीना है तो फिर जीने का इज़हार न माँगो,
उस चीज़ का क्या ज़िक्र जो मुमकिन ही नहीं है
सहरा में कभी साया ए दीवार न माँगो..!!
~क़तील शिफ़ाई