तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की
क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की ?
नींद में कोई अपने आप से बातें करता रहता है
काल कुएँ में गूँजती है आवाज़ किसी सौदाई की,
सीने में दिल की आहट जैसे कोई जासूस चले
हर साए का पीछा करना आदत है हरजाई की,
आँखों और कानों में कुछ सन्नाटे से भर जाते हैं
क्या तुम ने उड़ती देखी है रेत कभी तन्हाई की ?
तारों की रौशन फ़सलें और चाँद की एक दरांती थी
साहू ने गिरवी रख ली थी मेरी रात कटाई की..!!
~गुलज़ार