तस्वीर का रुख एक नहीं दूसरा भी है…

तस्वीर का रुख एक नहीं दूसरा भी है
खैरात जो देता है वही लूटता भी है,

ईमान को अब लेके किधर जाइएगा आप
बेक़ार है ये चीज, कोई पूछता भी है ?

बाज़ार चले आये वफ़ा भी, ख़ुलूस भी
अब घर में बचा क्या है कोई सोचता भी है ?

वैसे तो ज़माने के बहुत तीर खाये हैं
पर इनमे कोई तीर है जो फूल सा भी है,

इस दिल ने फ़ितरत किसी बच्चे सी पाई है
पहले जिसे खो दे उसे फिर ढूँढता भी है..!!

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